बरसात आज आई तो , याद आया वो जमाना, तेरा वो छत पे खड़े रहना, और मेरा सडको पे नहाना |
वो सामने खड़े पहाड़ नहीं हैं, जो आपको थका देते हैं, बल्कि वो आपके जूतों, में पड़े कंकड़ हैं, जो आपको थका देते हैं।